ट्रोसा परियोजना के क्रियान्वयन से जागरूक हुआ ग्रामीण समुदाय

ट्रोसा परियोजना के क्रियान्वयन से जागरूक हुआ ग्रामीण समुदाय

मेरा नाम उर्मिला प्रजापति है, मैं लखीमपुर खीरी के तहसील व ब्लॉक पलिया की मूल निवासी हूँ । मैं ट्रोसा परियोजना में वर्ष 2018 जून से कार्यरत हूँ । परियोजना के आने से ग्रामीण समुदाय में किस तरह से जागरूकता आयी, मैं अपना अनुभव साझा कर रही हूँ ।

परियोजना के आने से पहले की स्थिति

मैं पलिया की रहने वाली हूँ और परियोजना के अंतर्गत चुने गए गावों में मेरा पहले से ही आना जाना रहा है । पहले गांव में किसी भी तरह का कोई संगठन नहीं था, गांव के प्रत्येक परिवार में पुरुषों का निर्णय सर्वमान्य हुआ करता था, गांव में महिलाओं का कार्य घरेलू काम काज व खेतों में मज़दूरी तक ही सीमित था । गांव में रखी गयी किसी भी पंचायत या बैठक में महिलाएं न तो आ सकती थी, और न ही अपने कोई सुझाव रख सकती थी । यहां तक कि महिलाएं अपनी इच्छा के अनुरूप कहीं आ जा भी नहीं सकती थी । महिलाओं को पुरुष समाज के द्वारा पूर्ण रूप से रूढ़िवादी परम्पराओं में जकड़ कर रखा जाता था । जैसे, यदि कोई भी मेहमान घर में आता था तो घर की महिलाएं उससे बात नहीं कर सकती थी, बाजार से कोई फल य सब्जी परिवार में आती थी तो महिला को तब ही खाने का अधिकार था जब घर के सभी लोग खा लिया करते थे तब, घर मे भोजन बने तब भी सभी के खाने के बाद ही महिला खा सकती थी इत्यादि ।

गांव के युवा, वयस्क गांव में खेती के कामों में अपने आप को व्यस्त रखते थे व यदि वित्तीय जरूरतें पूरी न हों तो उसकी आवश्यकता हेतु बाहर कमाने के लिए पलायन कर जाते थे । गांव में सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का 20 % से 25% ही लाभ मिल पाता था, उसमें भी ग्राम प्रधान व उनसे जुड़े हुए लोगों की पूर्ण मनमानी से योजना का वितरण सम्पन्न होता था । महिलाओं में जागरूकता की बहुत कमी थी । यदि कोई भी महिला गर्भवती हो जाती थी तो, न तो किसी भी तरह का टीका लगवाती थी और न ही आयरन की गोली खाती थी । इन सब मुद्दों को लेकर के उनके मन में एक डर था कि सरकार के द्वारा यह टीका इस लिए लगाया जा रहा है कि हमारे बच्चे न हों । इन सभी को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि सरकार किस वजह से टीका लगाती है व किस वजह से आयरन की गोली का निःशुल्क वितरण किया जाता है । सरकार के द्वारा चलाई जा रही किसी भी तरह की प्रमुख लाभकारी योजनाओं की इन सभी को कोई जानकारी नहीं थी । जिस वजह से वो कहीं भी योजना की मांग को लेकर कुछ भी बोल पाने में अपने आप को अक्षम महसूस करती थी ।

सरकार के द्वारा प्राप्त संसाधनों की संचालन व्यवस्था सुचारू रूप से क्रियान्वित नहीं थी जैसे, प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व आंगनवाड़ी केंद्र कब कौन खोलेगा, सरकारी लोग कितने बजे आ-जा रहे है । उन सभी पर नियमावली व समय सारणी का कोई प्रभाव नहीं था व गांव के लोगों से कोई मतलब नहीं था । गांव के लोगों को ये लगता था कि सरकार के द्वारा दिये गये सभी संसाधनों पर सरकारी लोगों का ही पूरा हक होता है । उनकी मर्जी चाहे जब खोले व बन्द रखें । जब खुला होगा तब हम भी सेवाएं प्राप्त कर लेंगे । गांव के लोगों को जल प्रबंधन व शुद्ध पेयजल प्राप्ति, रख रखाव पर कोई समझ नहीं थी । गांव के अत्यधिक लोग खुद से बोर कराए हुए छोटे नल के पानी को पीने के उपयोग में लेते थे । जिस वजह से अत्यधिक लोगों को बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ता था । जैसे, पेट मे दर्द, पथरी, शरीर मे दर्द, दाद खाज खुजली, डायरिया इत्यादि जलजनित रोग समुदाय में लोगों को संगठन में काम करने के क्या फायदे है इस बात का भी ज्ञान नहीं था, लोग अपने व्यक्तिगत कामों के लिए पास पड़ोस के जानकार लोगों को कुछ पैसे देकर अपना काम करा लिया करते थे - जैसे, बैंक में खाता खुलवाना, बैंक से पैसा निकलवाना, राशन कार्ड बनवाना, जाति, निवास, आधार कार्ड इत्यादि प्रपत्र तैयार करवाना ।

गांव में यदि किसी भी व्यक्ति की तबियत खराब हो जाय य कोई भी विशेष आपदा आ जाय तो लोगों को यह पता ही नहीं था कि समस्या के समाधान के लिए कहाँ कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करानी है जिससे हमें सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रमुख योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सकें । यदि किसी भी काम से य विवाद के मुद्दों की जांच व पड़ताल हेतु पुलिस गांव में आ जाती थी तो लोग डर के मारे अपने घर मे घुस जाते थे । उनसे सत्य बातें व किसी भी तरह की सलाह को साझा कर पाने में अपने आप को अक्षम महसूस करते थे ।

तीन वर्ष परियोजना के क्रियान्वयन के बाद की स्थिति

शारदा नदी घाटी बेसिन के अंतर्गत जो भी गांव चयनित किये है, उन सभी गावों में परियोजना की तरफ से एक ग्राम जल प्रबंधन समिति बनाई गई है । समिति के साथ प्रत्येक माह नियमित रूप से बैठकें की जाती है । बैठक में उन्हें बताया जाता है कि उनके जल अधिकार, जल संसाधन अधिकार व मानव अधिकार क्या है । हम उसे कैसे सुरक्षित रख सकते है । प्रत्येक बैठकों का अपना एक एजेंडा होता है । उस एजेंडा के आधार पर उस बैठक में कुछ आवश्यक मुद्दों एवं समस्याओं के समाधान हेतु चर्चा की जाती है व प्लान तैयार किया जाता है । गांव के लोगों को अब यह पता चल गया है कि संगठन में कितनी शक्ति होती है व हम संगठन के जरिये कठिन से कठिन कार्यों को कर व करवा सकते है ।

गांव में सरकार की तरफ से बने संसाधनों की देख रेख 

अब समिति व गांव के लोग सरकार के द्वारा गांव में बनाये गए संसाधनों का पूरा देखभाल करते है व जहां पर जिस तरह की निगरानी व सहयोग की जरूरत होती है, उन्हें उपलब्ध कराते है । प्राथमिक विद्यालय व माध्यमिक विद्यालय में जो भी बच्चो के अभिभावक होते है वो यह विशेष तौर पर ध्यान रखते है कि विद्यालय कितने बजे खुलेगा व कितने बजे बजे बन्द होगा । विद्यालय तक बच्चो की पहुंच बने व अध्यापक बच्चों को उचित मार्गदर्शनए नियमावली के साथ बच्चों को पढ़ाए । प्राथमिक स्वास्थ्य ए आंगनवाड़ी केंद्र ए पशु अस्पताल इत्यादि कब और कितने बजे खुलेगा व किस संसाधन पर किस जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी की ड्यूटी है, हमे उस संसाधन का लाभ मिल पा रहा है कि नही । इन सभी बातों पर गांव के लोग अब ध्यान देते है ।

सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में समिति का सुझाव

गांव में किसी भी तरह सर्वे व जनगणना इत्यादि की जाती है तो गांव के लोग उस बैठक विशेष में सम्मिलित होकर संदर्भ व्यक्ति को सही व उचित जानकारी उपलब्ध कराते हुए पात्र व्यक्तियों को पात्रता की सूची में क्रमबद्ध करते है । गांव में अक्सर कुछ लोगों के द्वारा आधार कार्ड बनाने हेतु व बैंक में खाता खुलवाने हेतु कुछ पैसों की मांग की जाती है । पर गांव के लोगों को अब बहुत अच्छे से यह पता है कि किस योजना के लिए कितना शुल्क है या निशुल्क सुविधा सरकार द्वारा अथवा किसी संसाधन द्वारा दी जाती है । लोग अब किसी भी दलाल य ठग से बहकावे में न आते है ।

ग्राम पंचायत विकास योजना में समिति व गांव के लोगों का हस्तक्षेप

समिति व गांव के ज्यादा ज्यादा से लोगोंं को यह पता चल गया है कि पंचायती राज विभाग की तरफ़ से प्रत्येक वर्ष में 4 बार ग्राम पंचायत विकास योजना का अपडेशन किया जाता है व उसे ब्लॉक स्तर पर एकत्रीकरण करते हुए ब्लॉक से तहसील, तहसील से जनपद स्तर पर भेजा जाता है । जनपद पर सभी ग्राम पंचायत विकास योजनाओं को वार्षिक जनपद स्तरीय कार्ययोजना से जोड़ा जाता है ।

ग्राम पंचायत विकास योजना से सम्बंधित जो भी बैठकें की जाती उसमे ग्राम जल प्रबंधन समिति के सदस्य व गांव के सक्रिय सदस्य भाग लेते है । व समिति की बैठकों में पहले से तैयार सूक्ष्म स्तरीय ग्राम विकास कार्य-योजना को ग्राम पंचायत विकास कार्य-योजना के साथ निहित कराया जाता है । उपरोक्त बैठक में समिति की महिला सदस्य व पुरुष सदस्य सक्रिय रूप से भाग लेते है । अब ग्राम पंचायत विकास योजना में गांव के लोगों का पूर्ण हस्तक्षेप होता है । हस्तक्षेप में गांव के लोग इस तरह का भी निर्णय करते है कि हमारे गांव में कौन सा संसाधन किस जगह पर उपलब्ध कराया जाय । जैसे नल कहाँ पर लगे जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को पेयजल की सुविधा प्राप्त हो इसी तरह से हर संसाधन पर लोग अपनी राय देने लगे है ।

अपने जल अधिकार एवं जल संसाधन अधिकार को सुरक्षित रखने हेतु किये गए हस्तक्षेप 

ग्राम स्तरीय समिति के लोगों ने अपने गांव के भूमिगत जल व सतही जल की समय समय पर जांच हेतु गांव स्तर पर एक लोग विज्ञान समूह का गठन किया । समूह में गांव के 10 से 12 तक पढ़े हुए बच्चे व बच्चियों को शामिल किया । लोक विज्ञान समूह को परियोजना स्टाफ के द्वारा समय-समय प्रशिक्षण दिया जाता है । प्रशिक्षण प्राप्त कर वो अपने गांव व क्षेत्र से सम्बंधित जल की जांच करते है व उसका एक डेटा एकत्रित कर रखते है । जिससे वर्तमान समय मे व भविष्य में कोई भी वाह्य स्त्रोत हमारे जल संसाधन अधिकारों को क्षति पहुंचायें तो हम उस डेटा के आधार पर सरकार को यह बता सके य अपनी शिकायत दर्ज करा सकें । जिससे हमारे जल अधिकारों को कोई भी वाह्य स्त्रोत क्षति न पहुंचा सकें व हमारे जल अधिकारों व जल संसाधन अधिकारों की रक्षा हो सकें ।

महिला सशक्तिकरण से सम्बंधित मुद्दों पर हस्तक्षेप 

गांव में जल प्रबंधन समिति में महिलाएं सहभाग करने लगी जब मीटिंग में महिलाओं को यह बताया जाने लगा कि हम लोग पुरुषों की भांति हर कार्य कर सकते है । धीरे-धीरे गांव की पंचायत इत्यादि में भी महिलाएं आना शुरू की और अपनी बातों को भी रखने लगी । अब गांव के पुरुष समाज के भी दिमाग में यह बात धीरे-धीरे आने लगी है कि हमारी गांव की महिलाएं भी बोल सकती है । और उन्हें भी कुछ कर दिखाने का अवसर मिलना आवश्यक है । दो वर्ष होने को है, महिलाओं के द्वारा कुछ स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया, जिसे उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन का सहयोग प्राप्त हुआ । और आज हमारे परियोजना क्षेत्र के प्रत्येक गांव में महिला समूह है जो कि आत्मनिर्भर रूप से अपनी आजीविका चलाने की दिशा में अग्रसर हो रहे है । महिलाएं अब जागरूक हो चुकी है । सरकार के द्वारा जो भी योजनाएं समुदाय को संचालित की जाती है । प्रत्येक योजनाएं के लिए अपनी पात्रता के हिसाब से प्रयास कर योजनाओं तक पहुंच बना रही है ।

यह लेख उर्मिला प्रजापति  के अपने व्यक्तिगत अनुभव व समझ के आधार पर लिखा गया है ।

📢Oxfam India is now on Telegram. Click here to join our Telegram channel and stay tuned to the latest updates and insights on social and development issues. 

 

Transboundary Rivers of South Asia (TROSA)

A programme to understand and address challenges related to transboundary rivers and communities in these river basins.

Read More

Related Blogs

Blogs

Stories that inspire us

Transboundary Rivers of South Asia (TROSA)

12 Oct, 2021

Kolkata

Only Together… Can We Save Our Rivers!

Every year, October 13 is observed as the International Day for Disaster Risk Reduction. Started in 1989, the day was ideated to promote a culture of global risk-awareness and disaster re...

Transboundary Rivers of South Asia (TROSA)

10 Oct, 2021

Guwahati, Assam

Multi-Stakeholder Consultation on Fisheries Management

India and Bangladesh share 54 rivers – both small and large, which provide livelihoods and food security to a large portion of population in this region. The Ganga-Brahmaputra-Meghna (GBM...

Transboundary Rivers of South Asia (TROSA)

02 Jun, 2021

Assam/UP

Our Women Water Champions

UNDP announced Women Water Champions in February this year, they were formally felicitated on June 2. These women have been identified for their exemplary work in  water governance, commu...

Transboundary Rivers of South Asia (TROSA)

09 Apr, 2021

Delhi

From Conflict to Cooperation

A Reflection of the Contemporary Demands for Transboundary Water Governance.  Water is a life-sustaining resource for humans. It is crucial for long-term economic and social growth. Wate...

img Become an Oxfam Supporter, Sign Up Today One of the most trusted non-profit organisations in India